Thursday, December 1, 2011

देश कोई रिक्शा तो है नहीं / सुरेश सेन नि‍शांत

देश कोई रिक्शा तो है नहीं
जो फेफड़ों की ताक़त की दम पे चले
वह चलता है पैसों से

सरकार के बस का नहीं
देना सस्ती और उच्च शिक्षा
मुफ़्त इलाज भी
सरकार का काम नहीं

कल को तो आप कहेंगे
गिलहरी के बच्चे का भी
रखे ख़याल सरकार
वे विलुप्त होने की कगार पे हैं

परिन्दों से ही पूछ लो
क्या उन्हें उड़ना
सरकार ने सिखाया है..?

क्या उनके दुनके में
रत्ती-भर भी योगदान है सरकार का
जंगल में
बिना सरकारी अस्पताल के
एक बाघिन ने
आज ही दिया जन्म
तीन बच्चों को
एक हाथी के बच्चे ने
आज ही सीखा है नदी में तैरना

बिना सरकारी योगदान के
पार कर गया नीलगायों का झुण्ड
एक खौफ़नाक बहती नदी

सरकार का काम नहीं है
कि वो रहे चिन्तित

उन जर्जर पुलों के लिए
जिन्हें लाँघते है हर रोज़
ग़रीब गुरबा लोग

सरकार के पास नहीं है फुर्सत
हर ग़रीब आदमी की
चू रही छत का
रखती रहे वह ख़याल
और भी बहुत से काम है
जो करने हैं सरकार को

मसलन रोकनी है महँगाई
भेजनी है वहाँ सेना
जहाँ लोग बनने ही नहीं दे रहे हैं
सेज

सरकार को चलाना है देश
वह चलता है पैसों से
और पैसा है बेचारे अमीरों के पास
आज ही सरकार
करेगी गुज़ारिश अमीरों से
कि वे इस देश को
ग़रीबी में डूबने से बचाए

देश की भलाई के लिए
अमीर तस्करों तक के आगे
फैलाएगी अपनी झोली
बदले में देगी
उन्हें थोड़ी-सी रियायतें

क्योंकि देश कोई रिक्शा तो नहीं
जो फेफड़ों की ताक़त के दम पे चलें
वह तो चलता है पैसों से

....................... देश कोई रिक्शा तो है नहीं / सुरेश सेन नि‍शांत

Tuesday, September 27, 2011

अरे बचा लो देश

अरे बचा लो देश"...................!!!!!!!
देश लिया सब चूँस..........तुम्हारी ..............!
बचा खुचा लो ठूँस, तुम्हारी..............!

जबसे दर्शन किये तुम्हारे
जनता भूकों मर गई
ऐसे हो मनहूस, तुम्हारी.................!

किस पर जनता करे भरोसा
किसको गले लगाये
"सबके सब" फडतूस,तुम्हारी.......!

अन्व्याही फ़ाइल का
तब तक शीलभंग हो कैसे
मिले न जब तक घूंस, तुम्हारी ......!

बच्चे सब एयरकंडीसन
पत्नी वातानूकूलित,
मई भी तुमको पूस, तुम्हारी...............!

कुर्बानी को लाल हमारे
और तुम्हारे बेटे पढें अमेरिका रूस,
तुम्हारी.......................!

आप मरें तो चिता में लकड़ियाँ चन्दन की,
हमें घाँस और फूस, तुम्हारी ................!

तेल नहीं अपनी ढिबरी में और
तुम्हारे घर में इटली के फानूस, तुम्हारी..................!

तुमको चाहिए रात को व्हिस्की
और मटन की खुश्की
पियो सुबह तुम जूस, तुम्हारी..................!

अर्धनग्न है देश व्यवस्था
फिरें गरीब चड्डी में
नंगा चले जुलूस, तुम्हारी .............!

करेगा नंगा चौराहे पर एक दिन
तुम सबको "जन लोकपाल कानून",
तुम्हारी..................!

अरे बचा लो देश,
तुम्हारी.................!!!!!!!!!!!

*मानिक वर्मा*

Friday, September 16, 2011

ज़ारी है अभी लड़ाई ज़ारी है

यह जो छापा तिलक लगाये यह जो जनेऊ धारी हैं
यह जो जात पात पूजक हैं यह जो भ्रष्टाचारी हैं
यह जो भूपति कहलाता है जिसकी साहूकारी है

उसे मिटाने और बदलने की करनी तैयारी है
ज़ारी है ज़ारी है अभी लड़ाई ज़ारी है, ज़ारी है ज़ारी है अभी लड़ाई ज़ारी है, ज़ारी
है ज़ारी है अभी लड़ाई ज़ारी है

यह जो तिलक मांगता है लडके की धौंस जमाता है
कम दहेज़ पाकर लड़की का जीवन नर्क बनता है
पैसे के बल यह जो अनमेल ब्याह रचाता है
यह जो अन्याई है सब कुछ ताक़त से हथियाता है

उसे मिटाने और बदलने की करनी तैयारी है
ज़ारी है ज़ारी है अभी लड़ाई ज़ारी है, ज़ारी है ज़ारी है अभी लड़ाई ज़ारी है, ज़ारी
है ज़ारी है अभी लड़ाई ज़ारी है

यह जो कला धन फैला है यह जो चोर बाजारी है
सबका पाऊं चूमती जिसके ये सरमायेदारी है
यह जो यम सा बेटा है मतदाता की लाचारी है

उसे मिटाने और बदलने की करनी तैयारी है
ज़ारी है ज़ारी है अभी लड़ाई ज़ारी है, ज़ारी है ज़ारी है अभी लड़ाई ज़ारी है, ज़ारी
है ज़ारी है अभी लड़ाई ज़ारी है

हम मेहनत कश जगवालों से जब अपना हिस्सा मांगेगे

हम मेहनत कश जगवालों से जब अपना हिस्सा मांगेगे
एक खेत नहीं, एक देश नहीं
हम सारी दुनिया मांगेगे
हम सारी दुनिया मांगेगे

यहाँ पर्वत पर्वत हीरे हैं यहाँ सागर सागर मोती हैं
ये सारा माल हमारा है
ये सारा माल हमारा है
ये सारा माल हमारा है
हम सारा खज़ाना मांगेगे

हम मेहनत कश जगवालों से जब अपना हिस्सा मांगेगे
हम मेहनत कश जगवालों से जब अपना हिस्सा मांगेगे
एक खेत नहीं, एक देश नहीं
हम सारी दुनिया मांगेगे
हम सारी दुनिया मांगेगे

हमारे खून बहे जो बाग़ उजड़े
जो गीत दिलों में कत्ल हुए
हर कतरों का हर गुंचे का
हर गीत का बदला मांगेगे

हम मेहनत कश जगवालों से जब अपना हिस्सा मांगेगे
हम मेहनत कश जगवालों से जब अपना हिस्सा मांगेगे
एक खेत नहीं, एक देश नहीं
हम सारी दुनिया मांगेगे
हम सारी दुनिया मांगेगे

जब सब सीधा हो जायेगा
जब सब झगडे मिट जायेंगे
हम मेहनत से उपजायेंगे
हम मेहनत से उपजायेंगे
हम मेहनत से उपजायेंगे
बस बाँट बाँट कर खायेंगे

हम मेहनत कश जगवालों से जब अपना हिस्सा मांगेगे
हम मेहनत कश जगवालों से जब अपना हिस्सा मांगेगे
एक खेत नहीं, एक देश नहीं
हम सारी दुनिया मांगेगे
हम सारी दुनिया मांगेगे

Thursday, September 15, 2011

तस्वीर बदल दो दुनिया की

तोड़ो ये दीवारें भर दो अब ये गहरी खाई
तोड़ो ये दीवारें भर दो अब ये गहरी खाई
जागो दुखियारे इंसानों
तस्वीर बदल दो दुनिया की

चलती मशीनें ये तेरे ही हाथों से
उगते हैं फसलें ये तेरे ही हाथों से
क्यों फिर ले जाते हैं ? जुल्मी जोग तुम्हारी कमाई
उठो मजदूरों और किसानो
तस्वीर बदल दो दुनिया की, तस्वीर बदल दो दुनिया की, तस्वीर बदल दो दुनिया की

ये चौबारे महल उठाये हैं तूने
सुख के सब सामान जुटाए हैं तूने
फिर क्यों बच्चो ने तेरे हरदम आधी रोटी खाई
जागो मज़लूमो और जवानों
तस्वीर बदल दो दुनिया की, तस्वीर बदल दो दुनिया की, तस्वीर बदल दो दुनिया की

ज़ुल्मों की कब्र तेरे ही हाथ खुदेगी
तेरे ही हाथ नई दुनिया बनेगी
मत ये समझो तूने जीवन की सब पूँजी गवाई
उठ जाओ छात्रों और जवानों
तस्वीर बदल दो दुनिया की, तस्वीर बदल दो दुनिया की, तस्वीर बदल दो दुनिया की

Thursday, July 28, 2011

पुराने समय की बात है -


पुराने समय की बात है  -
महाविध्यालीन पढाई के दौरान कुछ आमदनी हेतु काम करने का विचार किया ....
ऐसा कोई काम जिस से आमदनी हो.... भयानक ख्याल था... मुझे कुछ आता भी ना था...
एक बार मेले में किसी को चावल पर कुछ लिखते देखा बात जाम गई ....
हां ..... कोशिश करूँ तो मैं भी कर सकता हूँ... 
तो श्रीमान मैंने भी शुरू किया.... निवाड़गंज से चावल के नमूने मांग लाया... और शुरू कोशिश
अंग्रेजी लिखते तो आसानी से आ गई...  लेकिन मज़ा नहीं आया ....
बहुत सारे लोग लिख लेते हैं.... इसमें क्या ख़ास है ???

तो मैंने संस्कृत में जैन नवकार मंत्र लिखा .... एक पद - एक चावल पर.....
फिर भी कोई हल्ला नहीं.......

अंततः मैने अरबी भाषा में पाक पंजतन लिखा (तस्वीर संलग्न है) ......
उसे सजाकर मीना बाज़ार ले गया... वह भाई - ज़ोरदार हल्ला .....
जैन साहब ने कमाल कर दिया... नायब चीज़ .... उम्दा हुनर..... वगैरह वगैरह
कुछ लोगो ने हाथ मिलाया ....कुछ  ने हाथ को चूमा ....

जब तमाशा ख़तम हुआ तो मैने कहा...मुझे तारीफ नहीं चाहिए - खरीददार   चाहिए.... तो सब भाग खड़े हुए....

बात आई कीमत की....... तो कुछ ने समझाया .... इस का व्यापार नहीं होता.... कीमत नहीं होती .... हदिया होती है.... सो मैने हदिया तय कर दी ७८६ रूपये मात्र .... फिर भी गुंजाईश नहीं - कोई मालदार नहीं....

अबकी बार निगाह "कलमा" पर गई.... मुझे विश्वास था - में लिख लूँगा ......
लेकिन पहले खरीददार तलाशा जाए.....

बड़े नाम चीन लोगो के पास गया .... बड़ी निराशा हुई......
फिर मौलाना साहब के पास ..... वो और बड़े वाले....
पहले तो ये.... कि में देख चुका हूँ.... संग्रहालय में है....
तुम नहीं लिख सकते....

मैं बोला - लिख दिया तो ?? कीमत बोलो......
जो संग्रहालय में है .... वो अमूल्य है..... पर उसकी नक़ल....
(हालाँकि नक़ल जैसी कोई बात नहीं, चावल के दाने पर फोटो कॉपी नहीं होती )
खरब - अरब - करोड़ - लाख - हज़ार - सैकड़ा ......... कोई मूल्य नहीं........
तो तय किया गया - आज के बाद --------------------------------------------------------------------------- हमेशा के लिए बंद
भगवान् भला करे.... शेष शुभ

Friday, July 22, 2011

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हमारे शहर में सिनेमाघर कितने थे ?

हमारे शहर में सिनेमाघर कितने थे ?? ३२ सिनेमाघर का सुना था मैंने ----
आप सहायता करें नाम याद करने में
१ .  नवीन ज्योति (पनागर)
२.  वैभव (पायल)
३.  अम्पायर
४.  डिलाइट
५.  श्री कृष्णा
६.  सुभाष
७.  पंचशील
८.  लक्ष्मी
९.  आनंद
१०. प्रभु वंदना
११.  ज्योति
१२. विनीत
१३. जयंती
१४. शीला
१५. शारदा
१६.  श्याम
१७.  सरस्वती
१८.  नवनीत [रांझी]
१९.  डिफेंस (कल्पना)
२०.  सावित्री
२१.  महावीर
२२
२३
२४
२५
२६
२७
२८
२९
३०
३१
३२

Thursday, July 21, 2011

ऐसी हैं हमारे जबलपुर की यादें

वो जिलहरी की शाम
वो छोटी लाइन फाटक का जाम
वो नर्मदा रोड की हवा
वो विक्टोरिया की दवा
वो धुआंधार की ठंडक
वो सदर का मज़ा
वो गोरखपुर की शॉपिंग
वो मोबाइल की टाकिंग
वो बडकुल की जलेबी
वो अन्ना का डोसा
वो कमानिया की रबड़ी
वो फ्रीजो की आइसक्रीम
वो सिविक सेंटर की चाट
वो डिलाइट की चाय
वो पचपेढ़ी की सड़के
जहाँ कितने दिल धडके
वो मस्ती की बातें
ऐसी हैं हमारे जबलपुर की यादें

Monday, July 18, 2011

More Information about jabalpur

http://en.wikipedia.org/wiki/Jabalpur

हमारे जबलपुर में एक समय १३ तलैया और ५२ तालाब थे ..

हमारे जबलपुर में एक समय १३ तलैया और ५२ तालाब थे ..

तलैया -
१. श्रीनाथ की तलैया
२. तिलक भूमि की तलैया
३. जूडी तलैया
४. भानतलैया
५. छुट्टू मियाँ की तलैया,
६.  बेनीसिंह की तलैया
7.  अलाफ्खान की  तलैया
8.  सेवाराम  की  तलैया
9.  साईं  तलैया
10. नौवा तलैया
11. सूरज  तलैया
12. फूलहारी  तलैया
13. जिंदल  तलैया



ताल -
१.   अधारताल
२.   मढ़ोताल
३.   हनुमानताल
४.   फूटाताल
५.   मढ़ाताल
६.    देवताल
७.   हाथीताल
८.   भंवरताल
९.   चेरीताल
१०.  रानीताल
११.  शाहीताल
१२.  गुलौआ ताल
१३.  गंगा सागर ताल
१४.  खेमताल
१५.  सूपाताल
१६.  संग्राम सागर ताल
१७.  खम्बताल
१८.  बघा ताल
१९.  बाल सागर
२०.  ठाकुर ताल
२१.  गोकुलपुर तालाब
२२.  शाही तालाब
२३  मचरहाई  ताल   
24.  महानद्दा
25.  कोलाताल
26.  तिरहुतिया ताल
27.  गुरहाताल
28.  सुरजला ताल
29.  अवस्थि ताल
30.  बासा तालाब
31.  बाल सागर
32.  हिनौता  ताल
33.  सगराताल
33.  चौकिताल
34.  सूखाताल  
35.  महाराज सागर
36.  कूरनताल
37.  अमखेरा ताल  
38.  बाबा ताल
39.  ककरैया  ताल
40.  गनेश ताल
41.  कटरा ताल
४२
४३
४४
४५
४६
४७
४८
४९
५०
५१
५२

कृपया आप मदद करें बाकी नाम बताने में

कौन टाइप की बात करत हो बे ??

अपनी छत पे कच्चू करते कई ना कहतो.....
अपनी छत पे कच्चू करते कई ना कहतो.....

ओकी छत पे फूल फेंक दओ ? जो का कल लओ ??

और हाथ पाओं में कचछु नैयाँ - दंगल में नाम लिखा लओ
जो का कल लओ ??

Saturday, July 16, 2011

काय आयें ???

इक कंपनी में किसी पद हेतु साक्षात्कार चल रहा था.... शर्त बस यही थी कि - कमरे में प्रवेश करने की अनुमति केवल दो शब्दों में मांगे ...
सारे परेशान हो गए - किस भाषा में पूछें कि शर्त पूरी हो जाये...

तभी इक जबलपुरिया आया और पूछा - काय आयें ???
और चयनित हो गया .....

Friday, July 15, 2011

रिहर्सल

रिहर्सल

आज इंदौर में उप राष्ट्रपति आने वाले हैं. कल उनके आगमन की रिहर्सल की गई... शाम को जब ऑफिस से निकला तो तेज़ बारिश हो रही थी... हर चौराहे पर पुलिस थी... जनता को रोक दिया गया.. नकली गाड़ियों का काफिला निकलने वाला था.. सभी भीग रहे थे... लेकिन रुके थे... कानून का पालन कर रहे थे .... रिहर्सल भी असली के जैसे ही हो रही थी... आज अखबार में पढ़ा की - रिहर्सल दो बार की गई... शायद रिहर्सल में शो से ज्यादा खर्च हुआ होगा ..... (मेरा अनुमान है )

फिर भी यदि दुघटना हो जाये... मसलन उनकी कार पंचर हो जाये... स्टार्ट ना हो.... मुझे मालूम है की सारे इंतजाम होंगे... लेकिन अगर पंचर गाडी से रिहर्सल हो तो ?? ड्राईवर को अचानक रास्ते में चक्कर आ जाये ?? मेहमान को रास्ते में पाखाने जाने की तलब लगे तो ??

कितना अच्छा हो. की सारे राजनेताओं को एक्का दुक्का हमले की रिहर्सल करवाई जाए... अगर पैर में गोली लग जाए तो... हाथ में लगे तो... अगर पैर कट जाए तो ?? खून भरा कुरता पायजामा उन पर कैसा लगेगा..?? अगर कपडे पहने लायक नहीं बचे तो ?? और उनको अस्पताल कैसे ले कर जायेंगे ... किस बिस्तर पे लेटेंगे ?? खाने में क्या मिलेगे ?? कौन कौन मिलने आएगा ?? रिहर्सल बार बार होना चाहिए.... दिन में कम से कम दो बार ....

देश हित में , देश के कर्णधारों की रक्षा हेतु...

मौत का इतना खौफ इनके मन में बैठ जाए की ..... दोबारा चुनाव लड़ने की इच्छा ख़तम हो जाए... और डर के कारण छिपा हुआ धन बाहर आ जाए


सोचा जा सकता है ???? लेकिन सोचना नहीं चाहिए - उनके लिए रिहर्सल - और हमारी परेशानी सचमुच की.... जय हिंद