Thursday, September 15, 2011

तस्वीर बदल दो दुनिया की

तोड़ो ये दीवारें भर दो अब ये गहरी खाई
तोड़ो ये दीवारें भर दो अब ये गहरी खाई
जागो दुखियारे इंसानों
तस्वीर बदल दो दुनिया की

चलती मशीनें ये तेरे ही हाथों से
उगते हैं फसलें ये तेरे ही हाथों से
क्यों फिर ले जाते हैं ? जुल्मी जोग तुम्हारी कमाई
उठो मजदूरों और किसानो
तस्वीर बदल दो दुनिया की, तस्वीर बदल दो दुनिया की, तस्वीर बदल दो दुनिया की

ये चौबारे महल उठाये हैं तूने
सुख के सब सामान जुटाए हैं तूने
फिर क्यों बच्चो ने तेरे हरदम आधी रोटी खाई
जागो मज़लूमो और जवानों
तस्वीर बदल दो दुनिया की, तस्वीर बदल दो दुनिया की, तस्वीर बदल दो दुनिया की

ज़ुल्मों की कब्र तेरे ही हाथ खुदेगी
तेरे ही हाथ नई दुनिया बनेगी
मत ये समझो तूने जीवन की सब पूँजी गवाई
उठ जाओ छात्रों और जवानों
तस्वीर बदल दो दुनिया की, तस्वीर बदल दो दुनिया की, तस्वीर बदल दो दुनिया की

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