Tuesday, September 27, 2011

अरे बचा लो देश

अरे बचा लो देश"...................!!!!!!!
देश लिया सब चूँस..........तुम्हारी ..............!
बचा खुचा लो ठूँस, तुम्हारी..............!

जबसे दर्शन किये तुम्हारे
जनता भूकों मर गई
ऐसे हो मनहूस, तुम्हारी.................!

किस पर जनता करे भरोसा
किसको गले लगाये
"सबके सब" फडतूस,तुम्हारी.......!

अन्व्याही फ़ाइल का
तब तक शीलभंग हो कैसे
मिले न जब तक घूंस, तुम्हारी ......!

बच्चे सब एयरकंडीसन
पत्नी वातानूकूलित,
मई भी तुमको पूस, तुम्हारी...............!

कुर्बानी को लाल हमारे
और तुम्हारे बेटे पढें अमेरिका रूस,
तुम्हारी.......................!

आप मरें तो चिता में लकड़ियाँ चन्दन की,
हमें घाँस और फूस, तुम्हारी ................!

तेल नहीं अपनी ढिबरी में और
तुम्हारे घर में इटली के फानूस, तुम्हारी..................!

तुमको चाहिए रात को व्हिस्की
और मटन की खुश्की
पियो सुबह तुम जूस, तुम्हारी..................!

अर्धनग्न है देश व्यवस्था
फिरें गरीब चड्डी में
नंगा चले जुलूस, तुम्हारी .............!

करेगा नंगा चौराहे पर एक दिन
तुम सबको "जन लोकपाल कानून",
तुम्हारी..................!

अरे बचा लो देश,
तुम्हारी.................!!!!!!!!!!!

*मानिक वर्मा*

1 comment:

  1. आज के संदर्भ में मानिक वर्मा जी की कविता सटीक है

    ReplyDelete